क्राइम अलर्ट 24 फरीदाबाद , निशा गोयल
“माँ” कहने को तो ये छोटा सा शब्द है लेकिन इसमें संसार बसा है आज कुछ पंक्तियां माँ के लिए लिखीं हैं
आशा करती हूं आपको पसंद आएंगी।
“माँ के लिए हर दिन बना है
फिर क्यों ये दिन ख़ास है
अपनी अपनी TRP के लिये
लोगों का व्हाट्स एप, फेसबुक पोस्ट तैयार है ,
माँ के लिए हर दिन बना है
फिर क्यों ये दिन ख़ास है
घुटने घुटने चलने से लेकर
हर पल साया साथ है जिसका
में कब बड़ी हुई पता नही
पर वो साया साथ है हमेशा ,
स्कूल की शिक्षा बाद में आयी
पहले बनी माँ है शिक्षक
माँ के लिये हर दिन बड़ा है
फिर क्यों ये दिन ख़ास है ,
लोग कहते प्यार अंधा होता
ये जाना मेने माँ से है
कोख में आया अंश जानके
हद से ज्यादा प्यार जताया है
माँ तो जनंत से आयी फूल है
उसके बिना सब फ़िज़ूल है
माँ के लिये हर दिन बना है
फिर क्यों ये दिन ख़ास है ,
अब भी वक्त है जानो लोगों
माँ का दर्द पहचानो लोगों
उठाओ अपना फ़ोन देखो एल्बम
उसमें फ़ोटो माँ की कितनी है
गर्ल्फ़्रेंड बॉय फ्रेंड दोस्त की कॉल
ओर माँ की कॉल अवधि कितनी है
जब माँ ही सबसे अपनी है ,
माँ के लिए हर दिन बना है
फिर क्यों ये दिन ख़ास है ।
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